हनुमानजी ने श्री राम की मित्रता वानरराज सुग्रीव से कराई । रीछराज जाम्बवन्त ने प्रभु के कार्य के लिये हनुमानजी का आत्मबल जगाया ।
राम काज लगि तव अवतारा,
हे पवन कुमारा ॥
जो नाँघइ सत जोजन सागर ।
करइ सो राम काज मति आगर ॥
पापिउँ जा कर नाम सुमरहीं ।
अति अपार भव सागर तरहीं ॥
तासु दूत तुम्ह तज कदराई ।
राम हृदय धरि करि ऊपाई ॥
राम काज लगि तव अवतारा ।
सुनतहिं भयउ पर्वताकारा ॥
पवन तनय बल पवन समाना ।
बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ॥
कवन सो काज कठिन जग माहीं ।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
प्रबिस नगर कीजै सब काजा ।
हृदय राखि कोसलपुर राजा ॥
© श्री राम गीत गुंजन
Shri Ram Geet Gunjan
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