मंगल गान और नगाड़ों की ध्वनि से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड गूँज उठा । दूल्हा राम और दुल्हन जानकी की अनुपम छवि देखकर सभी देवतागण पुलकित हो उठे ।
दूलह राम, सीय दुलही री ।
घन दामिनि बर बरन हरन मन ।
सुन्दरता नख सिख निबही री ॥
तुलसीदास जोरी देखत सुख ।
सोभा अतुल न जात कही री ॥
रूप रासि विरचि बिरंचि मनु ।
सिला लमनि रति काम लही री ॥
© श्री राम गीत गुंजन
Shri Ram Geet Gunjan
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