पुष्प वाटिका में श्री राम और जानकी का नेत्र मिलन हुआ । जानकी जी ने श्री राम को अपने हृदय कमल में बसाकर माता गिरिजा की वन्दना की ।
जय जय गिरिबरराज किसोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥
जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥
नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥
सेवत तोहि सुलभ फल चारी ।
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥
© श्री राम गीत गुंजन
Shri Ram Geet Gunjan
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