पार्ट ४ - अतुलित बलधामं

ॠष्यमूक पर्वत पर श्री राम की भेंट हनुमानजी से हुई ।

अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।


© श्री राम गीत गुंजन

Shri Ram Geet Gunjan
ramgeetgunjan.blogspot.com