पार्ट ३ - श्री गुरु चरन सरोज रज

श्री गुरु चरन सरोज रज
निज मन मुकुर सुधार ।
बरनउँ रघुबर बिमल यश
जो दायक फल चार ॥



© श्री राम गीत गुंजन

Shri Ram Geet Gunjan
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